आनंद महिंद्रा का जीवन परिचय

भारतीय कॉरपोरेट जगत में कुछ नाम ऐसे हैं जो केवल एक व्यवसायी या उद्योगपति नहीं, बल्कि एक “विचारक नेता” (Thought Leader) और “राष्ट्र निर्माता” (Nation Builder) की भूमिका में दिखाई देते हैं। ऐसे ही एक नाम हैं अनंद महिंद्रा। महिंद्रा एंड महिंद्रा के वर्तमान चेयरमैन, एक ऐसे दूरदर्शी नेता हैं जिन्होंने पारंपरिक ऑटोमोबाइल कंपनी को एक वैश्विक, बहुआयामी समूह में बदल दिया। उनकी कहानी केवल विरासत में मिले व्यवसाय को संभालने की नहीं, बल्कि उसे अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर ले जाने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और “भारतीयता” के गौरव को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की है। यह ब्लॉग आपको अनंद महिंद्रा के प्रेरक जीवन और असाधारण योगदान की पूरी यात्रा पर ले जाएगा।

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि: विरासत की नींव (1955 – 1970)

  • जन्म और परिवार: अनंद गोपालकृष्णन महिंद्रा का जन्म 1 मई, 1955 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ। उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जिसकी जड़ें भारतीय उद्योग जगत में गहराई तक फैली हुई थीं। उनके दादा जे.सी. महिंद्रा, महिंद्रा एंड महिंद्रा के संस्थापकों में से एक थे, जिन्होंने 1945 में के.सी. महिंद्रा और गुलाम मोहम्मद के साथ मिलकर इसकी स्थापना की थी। उनके पिता, हरिश महिंद्रा, भी समूह में एक प्रमुख पद पर थे।
  • शिक्षा का प्रारंभ: अनंद की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के प्रतिष्ठित लॉरेंस स्कूल, लवडेल (Lawrence School, Lovedale) में हुई। यह बोर्डिंग स्कूल, जो तमिलनाडु के नीलगिरि पहाड़ियों में स्थित है, ने उनमें अनुशासन, स्वतंत्रता और नेतृत्व के गुण विकसित किए। यहीं से उनमें व्यापक दृष्टिकोण और जिम्मेदारी की भावना का बीजारोपण हुआ।
  • विदेश में उच्च शिक्षा: स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, अनंद ने उच्च शिक्षा के लिए विदेश का रुख किया:
    • हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University): उन्होंने कला स्नातक (Bachelor of Arts – BA) की डिग्री 1977 में हासिल की। यहां उन्होंने फिल्म और साहित्य का गहन अध्ययन किया, जिसने उनकी रचनात्मक सोच और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को पोषित किया।
    • हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (Harvard Business School): स्नातक के बाद, उन्होंने प्रबंधन में अपना कैरियर बनाने का निर्णय लिया और 1981 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए (MBA) की डिग्री प्राप्त की। यहीं पर उन्होंने आधुनिक प्रबंधन सिद्धांतों, वैश्विक व्यापार रणनीतियों और नेतृत्व कौशल में महारत हासिल की, जो भविष्य में उनके लिए अमूल्य साबित हुआ।

करियर की शुरुआत: स्वयं को साबित करने का सफर (1981 – 1991)

  • विरासत से दूरी: एक आम धारणा के विपरीत, अनंद महिंद्रा ने सीधे पारिवारिक व्यवसाय में प्रवेश नहीं किया। उन्होंने विदेश में अपनी पहचान बनाने और अनुभव हासिल करने का फैसला किया।
  • पहली नौकरी – यूएसए: एमबीए पूरा करने के बाद, उन्होंने अमेरिका में यूनाइटेड स्टेट्स स्टील कॉर्पोरेशन के साथ एक प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम किया। इस अनुभव ने उन्हें एक बड़े औद्योगिक संगठन के कामकाज और चुनौतियों को समझने का अवसर दिया।
  • महिंद्रा समूह में प्रवेश: 1981 में ही, अनंद भारत लौटे और महिंद्रा समूह के साथ अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि, उन्हें सीधे शीर्ष पद नहीं दिया गया। उनकी पहली भूमिका समूह की स्टील ट्रेडिंग डिवीजन – महिंद्रा यूनाइटेड स्टील डिवीजन (MUSD) में प्रमोशन मैनेजर की थी। यह एक जानबूझकर उठाया गया कदम था ताकि वे व्यवसाय की जमीनी हकीकत को समझ सकें।
  • उद्यमशीलता की झलक: अनंद ने जल्द ही अपनी उद्यमशीलता की भावना दिखाई। उन्होंने महिंद्रा समूह के अंदर ही एक नई कंपनी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा – महिंद्रा इंटरट्रेड। इस कंपनी का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में समूह के उत्पादों (विशेषकर स्टील) की ब्रांडिंग और बिक्री को बढ़ावा देना था। इस पहल ने समूह को वैश्विक नजरिए से देखने में मदद की।
  • ग्रुप कार्यकारी बोर्ड में पदोन्नति: उनके कौशल, दृष्टि और परिणामों ने शीघ्र ही वरिष्ठ प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया। 1989 में, मात्र 34 वर्ष की आयु में, उन्हें महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के ग्रुप कार्यकारी बोर्ड में नियुक्त किया गया। यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें समूह की समग्र रणनीति और दिशा को आकार देने की भूमिका में ला दिया।

नेतृत्व की बागडोर संभालना: परिवर्तनकारी दशक (1991 – 2012)

  • डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर (1991): 1991 में भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई। इसी वर्ष, अनंद महिंद्रा को कंपनी का डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर (DMD) नियुक्त किया गया। यह भूमिका उन्हें कंपनी के दैनिक संचालन और रणनीतिक निर्णयों में सीधा हिस्सा बनाती थी।
  • वाइस चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर (1997): उनकी क्षमताओं और योगदान को देखते हुए, 1997 में उन्हें कंपनी का वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (VC & MD) बनाया गया। इस पद पर उन्होंने समूह के परिचालन प्रदर्शन और दीर्घकालिक दृष्टि दोनों की जिम्मेदारी संभाली।
  • महत्वपूर्ण चुनौतियाँ और रणनीतिक परिवर्तन:
    • वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना: उदारीकरण के बाद भारतीय बाजार में विदेशी कंपनियों का प्रवेश हुआ। अनंद ने महसूस किया कि महिंद्रा को अपने उत्पादों की गुणवत्ता, डिजाइन और तकनीक में भारी सुधार करना होगा ताकि वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों से प्रतिस्पर्धा कर सकें।
    • कंपनी को पुनर्जीवित करना: उन्होंने कंपनी की संस्कृति में बदलाव लाने पर जोर दिया। “रिस्क-एवर्स” (जोखिम से डरने वाली) मानसिकता को “रिस्क-टेकिंग” (जोखिम लेने वाली) और नवाचार को प्रोत्साहित करने वाली संस्कृति में बदलना शुरू किया।
    • ब्रांड बिल्डिंग: अनंद ने “महिंद्रा” ब्रांड को केवल एक यूटिलिटी वाहन बनाने वाली कंपनी से ऊपर उठाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने ब्रांड को गुणवत्ता, विश्वसनीयता और भारतीय गौरव से जोड़ने की रणनीति अपनाई।
  • प्रमुख पहलें और सफलताएँ:
    • स्कॉर्पियो का जन्म (2002): यह अनंद महिंद्रा के कार्यकाल की सबसे बड़ी क्रांतिकारी सफलताओं में से एक थी। भारतीय बाजार के लिए डिज़ाइन किया गया यह पहला एसयूवी (SUV) एक जबरदस्त हिट साबित हुआ। इसने न केवल बाजार में महिंद्रा की स्थिति मजबूत की, बल्कि यह दर्शाया कि भारतीय कंपनियां भी विश्व स्तरीय, इनोवेटिव उत्पाद बना सकती हैं। स्कॉर्पियो ने महिंद्रा को एक “खतरनाक” और “मजेदार” ब्रांड के रूप में स्थापित करने में मदद की।
    • वैश्विक विस्तार: अनंद ने महिंद्रा के वैश्विक पदचिह्न को विस्तारित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, लैटिन अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में प्रवेश किया। साथ ही, महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जैसे दक्षिण कोरिया की सैंगयोंग मोटर कंपनी (2011) और फ्रांस की ट्रैक्टर कंपनी का अधिग्रहण।
    • विविधीकरण: अनंद ने महिंद्रा समूह को केवल ऑटोमोबाइल और ट्रैक्टर तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने नए क्षेत्रों में विविधीकरण की रणनीति अपनाई:
      • आईटी सेवाएँ: टेक महिंद्रा (अब महिंद्रा समूह का एक प्रमुख हिस्सा) को विकसित किया।
      • होस्पिटैलिटी: महिंद्रा होम्स एंड डेवलपर्स लिमिटेड के तहत रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी में प्रवेश किया।
      • एयरोस्पेस: महिंद्रा एयरोस्पेस की स्थापना की।
      • वित्तीय सेवाएँ: महिंद्रा फाइनेंस को मजबूत किया।
      • नवीकरणीय ऊर्जा: महिंद्रा सस्टेनेबल एनर्जीज में निवेश किया।
    • स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा: अनंद ने समूह के भीतर नवाचार और उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए महिंद्रा पार्टनर्स जैसे उद्यम पूंजी फंड शुरू किए, जो नए भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश करते हैं।

समूह के चेयरमैन के रूप में: नई ऊंचाइयों की ओर (2012 – वर्तमान)

  • शीर्ष पद पर पहुँचना (2012): अगस्त 2012 में, कैलाशचंद्र महिंद्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद, अनंद महिंद्रा को महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया। यह उनके करियर और समूह के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
  • “राइज” दर्शन: चेयरमैन बनने के बाद, अनंद ने समूह के मूल मंत्र के रूप में “राइज” (Rise) को स्थापित किया। यह एक सरल लेकिन शक्तिशाली दर्शन था जो सकारात्मक सोच, चुनौतियों से ऊपर उठने, सामाजिक उत्तरदायित्व और अच्छाई की ताकत में विश्वास को दर्शाता था। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि समूह की संस्कृति और कार्यों का केंद्र बन गया।
  • डिजिटल परिवर्तन (डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन): अनंद ने तकनीकी बदलावों की आवश्यकता को पहचाना। उन्होंने समूह की सभी कंपनियों में डिजिटलाइजेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और डेटा एनालिटिक्स को अपनाने पर जोर दिया। टेक महिंद्रा इस दिशा में एक प्रमुख खिलाड़ी बना।
  • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में अग्रणी: पर्यावरणीय चिंताओं और भविष्य की दृष्टि को देखते हुए, अनंद ने महिंद्रा को इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए भारी निवेश किया। महिंद्रा इलेक्ट्रिक (अब महिंद्रा लास्ट माइल मोबिलिटी – MLMM) और महिंद्रा ईवीज डिवीजन की स्थापना हुई। XUV400 जैसे इलेक्ट्रिक एसयूवी और ई-सुप्रीमो तीन पहिया जैसे वाणिज्यिक वाहनों ने बाजार में अच्छी पकड़ बनाई। उन्होंने वोक्सवैगन (VW) जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारी भी की।
  • सस्टेनेबिलिटी पर फोकस: अनंद ने स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) को व्यवसाय रणनीति का केंद्रीय स्तंभ बनाया। महिंद्रा समूह ने कार्बन उत्सर्जन कम करने, पानी के संरक्षण और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कीं। उनकी अगुवाई में समूह कार्बन न्यूट्रलिटी के लक्ष्य की ओर अग्रसर है।
  • महिंद्रा समूह की वर्तमान स्थिति: आज, महिंद्रा समूह 100 से अधिक देशों में कार्यरत है, जिसमें 2,50,000 से अधिक कर्मचारी हैं। यह ऑटोमोबाइल, कृषि उपकरण, आईटी सेवाएं, वित्त, रक्षा, एयरोस्पेस, रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी और नवीकरणीय ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति रखता है। यह भारत के सबसे बड़े और सबसे सम्मानित व्यापारिक समूहों में से एक है।

प्रबंधन दर्शन और नेतृत्व शैली: सफलता का मंत्र

  • “पॉवर ऑफ प्ले” (खेल की शक्ति): अनंद का मानना है कि काम में खेल जैसी रचनात्मकता और उत्साह होना चाहिए। वे कर्मचारियों को नवाचार करने, जोखिम उठाने और गलतियों से सीखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनका मानना है कि जब काम मजेदार होता है, तो परिणाम असाधारण होते हैं।
  • सशक्तिकरण और विश्वास: वे अपनी टीमों पर भरोसा करते हैं और उन्हें स्वतंत्रता देते हैं। उनका दृष्टिकोण है कि कर्मचारियों को सशक्त बनाने और उनकी राय को महत्व देने से बेहतर निर्णय और मालिकाना भावना पैदा होती है।
  • खुली संचार: अनंद खुले और पारदर्शी संचार को बहुत महत्व देते हैं। वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रूप से सक्रिय हैं (खासकर ट्विटर), जहां वे न केवल कंपनी की खबरें साझा करते हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार रखते हैं, युवाओं के साथ बातचीत करते हैं और सराहना करते हैं। यह उन्हें एक सुलभ और आधुनिक नेता के रूप में स्थापित करता है।
  • कर्मचारी केंद्रित: उनका मानना है कि कंपनी की सफलता का असली कारण उसके कर्मचारी हैं। उन्होंने महिंद्रा समूह को एक ऐसा वातावरण बनाने पर जोर दिया है जो समावेशी हो, सीखने को बढ़ावा देता हो और कर्मचारियों के कल्याण को प्राथमिकता देता हो।
  • नैतिकता और मूल्यों पर अडिग: अनंद हमेशा व्यापार में उच्च नैतिक मानकों और सत्यनिष्ठा पर जोर देते हैं। उनका मानना है कि स्थायी सफलता केवल सही तरीके से व्यापार करने से ही मिलती है।

पुरस्कार और सम्मान: राष्ट्रीय और वैश्विक मान्यता

अनंद महिंद्रा के असाधारण नेतृत्व और योगदान को देश-विदेश में व्यापक रूप से सराहा गया है:

  • पद्म भूषण (2020): भारत सरकार द्वारा व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए दिया गया यह तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
  • विश्व ऑटोमोटिव हॉल ऑफ फेम (2020): ऑटोमोटिव उद्योग में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
  • ईवाई वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड (2009): वैश्विक स्तर पर व्यापारिक उत्कृष्टता के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार।
  • बिजनेस स्टैंडर्ड ‘बिजनेसमैन ऑफ द ईयर’ (2008): भारत में उनके व्यावसायिक प्रदर्शन के लिए।
  • फोर्ब्स एशिया बिजनेसमैन ऑफ द ईयर (2013): एशिया में उनके प्रभावशाली नेतृत्व के लिए।
  • यूएनएसडीजी चैंपियन अवार्ड (2021): सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका के लिए।
  • कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ।

व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक प्रतिबद्धता: परिवार से परे की जिम्मेदारी

  • परिवार: अनंद महिंद्रा ने अनुराधा महिंद्रा से शादी की है। उनकी दो बेटियां हैं – दीव्या महिंद्रा और आलिया महिंद्रा। वे अपने निजी जीवन को सार्वजनिक नजरों से बचाकर रखते हैं।
  • शौक और रुचियाँ: अनंद एक सुविख्यात फोटोग्राफर हैं। उनकी यात्रा और वास्तुकला की तस्वीरें काफी सराही जाती हैं। उन्हें फिल्में देखना, पढ़ना और कला में रुचि है। वे एक जाने-माने खाद्य प्रेमी भी हैं।
  • फिल्म निर्माण में रुचि: उनकी कला स्नातक की पृष्ठभूमि ने फिल्मों में उनकी रुचि को बनाए रखा। उन्होंने हैप्पी न्यू ईयर जैसी बॉलीवुड फिल्मों में सह-निर्माता के रूप में काम किया है।
  • समाज सेवा और फिलैंथ्रॉपी:
    • नानी पालकीवाला चेरिटेबल ट्रस्ट: अनंद इस प्रमुख गैर-लाभकारी संस्था के ट्रस्टी हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास के क्षेत्र में काम करती है।
    • प्रोजेक्ट नान्ही काली: यह महिंद्रा समूह की एक प्रमुख पहल है जो ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की लड़कियों को शिक्षा, पोषण और जीवन कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है, ताकि उन्हें सशक्त बनाया जा सके।
    • कला और संस्कृति को बढ़ावा: अनंद भारतीय कला, संस्कृति और विरासत के संरक्षण और प्रचार के प्रबल समर्थक हैं। वे कई सांस्कृतिक संस्थानों और पहलों से जुड़े हुए हैं।
    • शिक्षा में योगदान: उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों और कार्यक्रमों का समर्थन किया है, जो नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं।

चुनौतियाँ और विवाद: संकटों से सीखना

  • कृषि संकट और ट्रैक्टर बिक्री में गिरावट: कृषि क्षेत्र में मंदी का असर महिंद्रा के ट्रैक्टर व्यवसाय पर पड़ा है।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान: कोविड-19 महामारी और जियोपॉलिटिकल मुद्दों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया, जिसका असर उत्पादन पर पड़ा।
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल बाजार में तीव्र प्रतिस्पर्धा: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों (जैसे टाटा, हुंडई, बाइडू) के साथ इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
  • कुछ उत्पादों की गुणवत्ता पर प्रश्न: अतीत में कुछ विशिष्ट वाहन मॉडलों की गुणवत्ता को लेकर चिंताएं उठी थीं, जिन्हें कंपनी ने संबोधित किया।
  • सैंगयोंग मोटर के साथ चुनौतियाँ: दक्षिण कोरोई कंपनी सैंगयोंग के अधिग्रहण के बाद कुछ वित्तीय और परिचालन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
  • सोशल मीडिया पर कभी-कभार विवाद: उनके कुछ ट्वीट्स या टिप्पणियों को लेकर सोशल मीडिया पर कभी-कभार विवाद हुए हैं, जिनका उन्होंने या तो बचाव किया या स्पष्टीकरण दिया।

विरासत और प्रभाव: भारत के भविष्य को आकार देना

अनंद महिंद्रा की विरासत बहुआयामी है:

  1. व्यापारिक दिग्गज से वैश्विक ब्रांड बनाना: उन्होंने महिंद्रा को एक पारंपरिक भारतीय कंपनी से एक सम्मानित वैश्विक बहुराष्ट्रीय समूह में बदल दिया है।
  2. “मेड इन इंडिया” का गौरव: उन्होंने यह साबित किया कि भारत में बने उत्पाद विश्व स्तरीय गुणवत्ता, डिजाइन और नवाचार के हो सकते हैं। स्कॉर्पियो इसका जीवंत उदाहरण है।
  3. नवाचार और जोखिम लेने की संस्कृति: उन्होंने भारतीय कॉरपोरेट जगत में एक ऐसी संस्कृति को प्रोत्साहित किया जो नए विचारों, जोखिम लेने और असफलता से सीखने को महत्व देती है।
  4. सामाजिक उत्तरदायित्व को मुख्यधारा में लाना: उन्होंने दिखाया कि व्यवसाय सफलता और सामाजिक कल्याण एक दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हो सकते हैं।
  5. युवाओं के लिए प्रेरणा: उनकी सोशल मीडिया उपस्थिति, स्पष्टवादिता और आधुनिक दृष्टिकोण उन्हें भारत के युवा उद्यमियों और पेशेवरों के लिए एक बड़ी प्रेरणा बनाते हैं।
  6. भारत के विकास में योगदान: महिंद्रा समूह के माध्यम से, उन्होंने रोजगार सृजन, निर्यात बढ़ाने, तकनीकी विकास और देश के बुनियादी ढांचे में योगदान दिया है।

निष्कर्ष: एक दूरदर्शी जिसने सपनों को साकार किया

अनंद महिंद्रा केवल एक सफल व्यवसायी नहीं हैं; वे एक दूरदर्शी (Visionary), एक क्रांतिकारी (Game-Changer), और एक प्रेरणास्रोत (Inspiration) हैं। उन्होंने साबित किया है कि विरासत में मिली जिम्मेदारी को न केवल संभाला जा सकता है, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाकर उसका पुनर्निर्माण भी किया जा सकता है। “राइज” का उनका दर्शन केवल एक कॉर्पोरेट नारा नहीं, बल्कि उनके जीवन और कार्य का सार है – चुनौतियों से ऊपर उठना, सकारात्मक बदलाव लाना और दूसरों को भी ऊपर उठाना।

उनकी यात्रा हमें यह सिखाती है कि दृष्टि (Vision), साहस (Courage), नैतिकता (Ethics) और लोगों पर विश्वास (Faith in People) के साथ, कोई भी संस्था या व्यक्ति असाधारण सफलता प्राप्त कर सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार के परिदृश्य पर अनंद महिंद्रा द्वारा छोड़े गए पदचिह्न अमिट हैं। वे न केवल महिंद्रा समूह के, बल्कि नए भारत के प्रतीक हैं – आत्मविश्वास से भरा, नवाचारी और वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार।

जैसे ही वे महिंद्रा समूह को भविष्य की ओर ले जाते हैं – इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, डिजिटलाइजेशन और सस्टेनेबिलिटी के साथ – एक बात निश्चित है: अनंद महिंद्रा भारत के औद्योगिक इतिहास में एक ऐसे नेता के रूप में याद किए जाएंगे जिन्होंने परंपरा और प्रगति के बीच एक अद्भुत सामंजस्य बनाया और सपनों को सच कर दिखाया।

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